शीन सी पेशानी तेरी क़ाफ़ सी नाक है
ए हुस्ना मेरी तेरा अंदाज बेबाक है
सिरहाने लेट के उसके सोचा करता हूं
ये चमकती सी झील है या उसकी आंख है
दाग़दार न हो जाए इसलिए साथ चलता हूं
औरत का दामन है थोड़ी कोई मज़ाक है
उसका अंगड़ाइयां लेना और मेरा देखते रहना
उसकी बदन मानो पेड़ की लचकती शाख है।
अनस आलम
https://anasafroz.blogspot.com/2019/05/tehzeeb-poetry-gazal-mehboob-se-baaten.html?m=1
ए हुस्ना मेरी तेरा अंदाज बेबाक है
सिरहाने लेट के उसके सोचा करता हूं
ये चमकती सी झील है या उसकी आंख है
दाग़दार न हो जाए इसलिए साथ चलता हूं
औरत का दामन है थोड़ी कोई मज़ाक है
उसका अंगड़ाइयां लेना और मेरा देखते रहना
उसकी बदन मानो पेड़ की लचकती शाख है।
अनस आलम
https://anasafroz.blogspot.com/2019/05/tehzeeb-poetry-gazal-mehboob-se-baaten.html?m=1