Friday, 2 August 2019

Shayri 2019

मुझे नहीं लगता ये हुनर कभी सीख सकूंगा,
ज़माना जैसा चाहे उस हिसाब का दिख सकूंगा

मैं सच लगने वाले सौ झूठ की जगह,
एक झूठ लगने वाली सच्चाई लिख सकूंगा

मुकाबला करादो मेरा चाहे समंदर से, तूफान से,
माफ़ करना आंसुओं के सामने नहीं टिक सकूंगा

एक अरसे से खामोशी दबाई है सीने में,
मुझे शोर शराबे में डालना जहां चीख सकूंगा

अच्छा होना नहीं अच्छा दिखना मायने रखता है
तभी शायद इस बाज़ार में बिक सकूंगा,

अनस आलम।

Monday, 1 July 2019

Shayari 2019 | uska hukm khud uspar hi chala nahin | gazal 2019

uska hukm khud uspar hi chala nahin
Uske daman se mera daagh dhula nahin

Ek chitthi me uske aansu bhe shamil the
Sab khat jal gaye vo khat jala nahin

Ye rooh khoobsurat rooh talash me hai 
Jismon se mera rishta koi khaas chala nahin

Mohabbat me hijr ki raaten bhe hain
Warna mujhe ishq se koi gila nahin

Is baar Ajeeb ittafaq tha har baar se
Vo galati se bhe raston par mila nahin

Anas alam

उसका हुक्म खुद उस पर ही चला नहीं,
उसके दामन से मेरा दाग़ धुला नहीं

एक चिट्ठी में उसके आंसू भी शामिल थे,
सारे ख़त जल गए वो ख़त जला नहीं

ये रूह एक रूह की तलाश में है,
जिस्मों से मेरा रिश्ता कोई ख़ास चला नहीं

मोहब्बत में ये हिज्र की रातें भी हैं,
वरना मुझे इश्क़ से कोई गिला नहीं

इस बार अजीब इत्तेफ़ाक़ था हर बार से,
वो ग़लती से भी रास्तों पर मिला नहीं

अनस आलम 

Saturday, 29 June 2019

Shayari 2019 | is shaam ka aana bhe | gazal 2019

इस शाम का आना भी आना क्या है,
बता आज इनकार का बहाना क्या है

आइए बैठिए मोहब्बत से बात करते हैं,
ये बात बात पर लहू बहाना क्या है

ज़मीन सींचते मर गया एक किसान,
अब ख़ुदग़र्ज़ बारिश का आना क्या है

मेरे ख़ून को मिट्टी से मिला फिर देख,
मालूम होगा तुझे वतन का दीवाना क्या है

बस उसका चेहरा देखकर खामोश रहता हूं,
ख़ाक में मिला दूं ये जा ज़माना क्या है

चाहूं तो घोल दूं बगावत अशआरों में लेकिन,
गुलिस्तां में नफरत की बू उड़ाना क्या है

मैं काग़ज़ पर इन्कलाब लिख कर चला जाऊंगा,
उसके बाद ज़ोर ए कलम बताना क्या है

इस क़त्लेआम को कोइ और नाम देदो,
अब बीच में राम को लाना क्या है

अनस आलम

Thursday, 27 June 2019

Shayari 2019 | apni zulfon ko | gazal 2019

अपनी ज़ूल्फों को यूं बेखायाल करती है
कुछ इस तरह से वो हवा का इस्तेमाल करती है

अब उसके तार्रुफ में मैं तुमसे क्या कहूं
एक लड़की जो मेरी अम्मी का खयाल करती है

ये कमरा घर में ख़ुशबू का जरिया बना रहता है
जब बिखेर कर वो ठीक अपने बाल करती है

मीर ओ ग़ालिब तक समझ न पाए इस बाला को
गालों को हाथों से कभी बोसो से लाल करती है

Anas alam



Wednesday, 26 June 2019

Shayari 2019 | jism me mar rha | gazal 2019

जिस्म में मर रहा था जो ज़मीर निकाल लाया हूं
पैरों में बंधी थी एक जंजीर निकाल लाया हूं

उसके हाथों में खंजर था खयालों में बगावत कि बू
मेयान में मेरे भी थी एक शामशीर निकाल लाया हूं

किसी ने मुझसे जब पूछा तेरे पास है ही क्या 
काग़ज़ के मलबे में दफ्न कुछ तहरीर निकाल लाया हूं

 खुद को बहुत समझाया मगर हर बार नाकाम रहा
अलमारी को टटोल कर एक तस्वीर निकाल लाया हूं

ज़ख्मी कर पूरी शिद्दत से मैं नहीं रोकूंगा आज
देख मैं कमान के सारे तीर निकाल लाया हूं

अनस आलम

Tuesday, 25 June 2019

Shayari 2019 | beghar | gazal 2019

Beghar se puch ghar bar kise kehte hain
Fakat aaine se puch kirdar kise kehte hain

Dard o sitam k qisse bahut sune honge
Kabhi aangan se puch dewaar kise kehte hain

Har kisi ko nahi hasil quvat mujhe samjhne ki
Bs sukhnwar janta hai kalamkar kise khte hain

Nikle ho bazar me hadason ki kitaab kharedne
jante nahin ho kya akhabar kise kehte hain

Aap khuda wale hon ya ishq wale hon
Aap jante honge ehmiyat e dedar kise kehte hain

Anas alan m

बेघर से पूछ घर बार किसे कहते हैं,
फकत आइने से पूछ किरदार किसे कहते हैं

दर्द ओ सितम के क़िस्से बहुत सूने होंगे,
कभी आंगन से पूछी दीवार किसे कहते हैं

हर किसी हो नहीं हासिल कूवत मुझे समझने की,
सूखंवर जानता है कलमकार किसे कहते हैं

निकले हो बाज़ार में हादसों कि किताब खरीदने,
जानते नहीं हो क्या अख़बार किसे कहते हैं

आप खुदा वाले हों या इश्क़ वाले हों,
आप जानते होंगे एहमियत ए दीदार किसे कहते हैं

अनस आलम ।


Monday, 24 June 2019

Shayari 2019 | एक बच्चा | ek baccha | ग़ज़ल 2019

Ek baccha chumta ik shajar accha laga
Shayad use parindon ka ghar accha laga

Zindagi guzari khubsurat raston ki talash me
Mujhe meri kabr tak ka safar accha laga

Bhatakta tha tez Awara hawaon ki tarah
Apnon k saath baitha to ghar accha laga

Zindagi ki ehmiyat maut ne samjhai hai
Mujhe Logon me marne ka darr accha laga

Anas alam .

एक बच्चा चूमता इक शजर अच्छा लगा
शायद उसे परिंदों का घर अच्छा लगा

ज़िन्दगी गुज़ारी खूबसूरत रास्तों की तलाश में
मुझे मेरी कब्र तक का सफर अच्छा लगा

भटकता था तेज आवारा हवाओं कि तरह
अपनों के साथ बैठा तो घर अच्छा लगा

ज़िन्दगी की एहमियत मौत ने समझाई
मुझे लोगों में मरने का डर अच्छा लगा

अनस आलम