Wednesday, 26 June 2019

Shayari 2019 | jism me mar rha | gazal 2019

जिस्म में मर रहा था जो ज़मीर निकाल लाया हूं
पैरों में बंधी थी एक जंजीर निकाल लाया हूं

उसके हाथों में खंजर था खयालों में बगावत कि बू
मेयान में मेरे भी थी एक शामशीर निकाल लाया हूं

किसी ने मुझसे जब पूछा तेरे पास है ही क्या 
काग़ज़ के मलबे में दफ्न कुछ तहरीर निकाल लाया हूं

 खुद को बहुत समझाया मगर हर बार नाकाम रहा
अलमारी को टटोल कर एक तस्वीर निकाल लाया हूं

ज़ख्मी कर पूरी शिद्दत से मैं नहीं रोकूंगा आज
देख मैं कमान के सारे तीर निकाल लाया हूं

अनस आलम

4 comments: