हवा अपनी हद से आगे बढ़ने न लग जाए,
कहीं उसका दुपट्टा बेफिक्री से उड़ने न लग जाए
रोज़ बुला लेता हूं उसको कंकड़ फेंक कर,
आज कहीं छत पर उसकी अम्मी चढ़ने न लग जाए
चौराहे पर खड़े रहना मेरा यूं ही नहीं है,
कहीं कोई और उसकी राह से गुज़रने न लग जाए
हाथ उसने भी थमा था मेरा बड़ी मुश्किलों से,
मैं डरता था, वो ज़माने से डरने न लग जाए
लोग इश्क में बिछड़ कर जान दे देते हैं,
कहीं वो मुझसे ऐसा इश्क करने न लग जाए
चांद उसकी सादगी पर बड़ा हंसा करता था,
अब उसे डर है के वो सवरने न लग जाए
अनस आलम
https://anasafroz.blogspot.com/2019/05/mulakat-ek-intezaar-umr-bhar-ka.html?m=1
कहीं उसका दुपट्टा बेफिक्री से उड़ने न लग जाए
रोज़ बुला लेता हूं उसको कंकड़ फेंक कर,
आज कहीं छत पर उसकी अम्मी चढ़ने न लग जाए
चौराहे पर खड़े रहना मेरा यूं ही नहीं है,
कहीं कोई और उसकी राह से गुज़रने न लग जाए
हाथ उसने भी थमा था मेरा बड़ी मुश्किलों से,
मैं डरता था, वो ज़माने से डरने न लग जाए
लोग इश्क में बिछड़ कर जान दे देते हैं,
कहीं वो मुझसे ऐसा इश्क करने न लग जाए
चांद उसकी सादगी पर बड़ा हंसा करता था,
अब उसे डर है के वो सवरने न लग जाए
अनस आलम
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Very nice
ReplyDeleteShukriya,,,,,,,, visit karte rahen
ReplyDeletebhut khoob anas bhai❤❤❤
ReplyDeleteशुक्रिया मेरे भाई ।।।।।।। Visit करते रहें।
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