Monday, 3 June 2019

A poetry by love | chahunga main tujhe hardam hamesha | hawa apni hadd se age badne |

हवा अपनी हद से आगे बढ़ने न लग जाए,
कहीं उसका दुपट्टा बेफिक्री से उड़ने न लग जाए

रोज़ बुला लेता हूं उसको कंकड़ फेंक कर,
आज कहीं छत पर उसकी अम्मी चढ़ने न लग जाए

चौराहे पर खड़े रहना मेरा यूं ही नहीं है,
कहीं कोई और उसकी राह से गुज़रने न लग जाए

हाथ उसने भी थमा था मेरा बड़ी मुश्किलों से,
मैं डरता था, वो ज़माने से डरने न लग जाए

लोग इश्क में बिछड़ कर जान दे देते हैं,
कहीं वो मुझसे ऐसा इश्क करने न लग जाए

चांद उसकी सादगी पर बड़ा हंसा करता था,
अब उसे डर है के वो सवरने न लग जाए

अनस आलम
https://anasafroz.blogspot.com/2019/05/mulakat-ek-intezaar-umr-bhar-ka.html?m=1

4 comments:

  1. Shukriya,,,,,,,, visit karte rahen

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  2. bhut khoob anas bhai❤❤❤

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  3. शुक्रिया मेरे भाई ।।।।।।। Visit करते रहें।

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