Tuesday, 11 June 2019

Kal raste me gam mil gaya tha usse gazal keh dali | gamon ki jab intehan ho jati hai tab likhta hoon |

गमों की जब इंतहां हो जाती है तब लिखता हूं
उसकी खुशबू सांसों में रवां हो जाती है तब लिखता हूं

पूरे बाग़ में सिर्फ मुझ एक शजर के जब
खिलाफ़ ये हवा हो जाती तब लिखता हूं

सियाह रातों में चरगों का अचानक से बुझ जाना
वो आंख खोलती है सुबह हो जाती है तब लिखता हूं

उसकी आंखे, अदाएं, बाहें, बहुत कुछ है लिखने को मगर
उसकी उंगलियां जिस्म पर निशां हो जाती हैं तब लिखता हूं

अनस आलम




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