Sunday, 16 June 2019

Happy father's Day

Father day पर मैने कुछ शेर लिखने
का दोस्तो से वादा किया था। पर आज जब पापा की पुरानी
डायरी कि ग़ज़लों पर एक नज़र पड़ी तो एक चोटी
सी ग़ज़ल निकाल कर आई जिसे सबसे शेयर करने का दिल किया।

हर मुसीबत मे घना साया बना रहता था।
बाप का नाम एक सरमाया बना रहता था।

ऐसा लगता था मेरे ख्वाब की ताबीर से थे।
मेरी खुशियों से उनका बैग भरा रहता था।

मेरे पावो को भी थकने नही देते थे वो।
उनके कान्धे पे मेरा बोझ पड़ा रहता था।
                    डा अफरोज़ आलम।

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