नींद आंखों में है मगर सोता नहीं हूं,
नाकाम रोज़ होता हूं पर रोता नहीं हूं
जिस तरह गवा बैठा हूं तुमको असलियत में,
ख्वाबों में आती हो तो तुम्हे खोता नहीं हूं
तेरे न होने पर भी तुझसे बातें करता हूं,
इतना तो खुद से भी मुखातिब होता नहीं हूं
मेरे चेहरे को खुद के मुताबिक चाहते हो,
ज़मीर मेरा ज़िंदा है कोई मुखौटा नहीं हूं
मेरे मुंह से जो निकलेगा हमेशा सच होगा,
तेरी नोमाईश का कोई रट्टू तोता नहीं हूं
अनस आलम
नाकाम रोज़ होता हूं पर रोता नहीं हूं
जिस तरह गवा बैठा हूं तुमको असलियत में,
ख्वाबों में आती हो तो तुम्हे खोता नहीं हूं
तेरे न होने पर भी तुझसे बातें करता हूं,
इतना तो खुद से भी मुखातिब होता नहीं हूं
मेरे चेहरे को खुद के मुताबिक चाहते हो,
ज़मीर मेरा ज़िंदा है कोई मुखौटा नहीं हूं
मेरे मुंह से जो निकलेगा हमेशा सच होगा,
तेरी नोमाईश का कोई रट्टू तोता नहीं हूं
अनस आलम
badhiya...✌✌👍👍😊😊😊
ReplyDeleteShukriya 😊
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