मेरे होठों पर एक कांपता सवाल सा रह गया,
मेरी बाहों में तू, ये खयाल सिर्फ खयाल सा रह गया
वो हमे मिटा कर सोचते हैं खत्म हमारा वजूद,
हम तो रुखसत हो गए हमारा इश्क़ मिसाल सा रह गया
ज़माना सर्द हवाएं बन कर तुझे छूना चाहता था,
मैं ताउम्र तेरी बदन पर शाल सा रेह गया
हर रात ख्वाबों में जी भर कर जिया तुझे लेकिन,
लबों पर कुछ ख्वाहिश - ए - वीसाल सा रह गया
मेरी मोहब्बत पाक़ीज़ा है इसमें कोई शक नहीं लेकिन,
उस रात तुम्हें न छूने का मलाल सा रह गया
ज़माना क्या जाने तू मुझसे लिपट कर रोई थी,
लोगों ने सिर्फ ये देखा कमीज़ पर कुछ बाल सा रह गया
सब ने देखा के तुमने भरी महफिल में मुझसे हाथ छुड़ाए,
मैंने देखा तेरे चेहरे पर ज़ाहिर दिल का हाल सा रह गया
अनस आलम
Wahh....bahut khoob
ReplyDeleteShukriya ....visit karte rahen
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