मेरे खयालों का ये सारा जहान ले गए,
ज़मीन इंसानों ने ली परिंदे आसमान लेगए
खुद को अपनी नज़रों में गिरा हुआ पता हूं,
मेरे अपने इरादे मेरा ईमान लेगए
मैं सूरज हूं मुझे शाम को ढलना ही है,
पागल जुगनू सोचते हैं ये मेरा मुकाम लेगए
सब साथ मिल कर जलें तो रौशनी ज़्यादा होगी,
यहां चराग़ अपने हिस्से का थोड़ा थोड़ा मकान लेगए
अनस आलम।
ज़मीन इंसानों ने ली परिंदे आसमान लेगए
खुद को अपनी नज़रों में गिरा हुआ पता हूं,
मेरे अपने इरादे मेरा ईमान लेगए
मैं सूरज हूं मुझे शाम को ढलना ही है,
पागल जुगनू सोचते हैं ये मेरा मुकाम लेगए
सब साथ मिल कर जलें तो रौशनी ज़्यादा होगी,
यहां चराग़ अपने हिस्से का थोड़ा थोड़ा मकान लेगए
अनस आलम।
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