अब कहां उसे पाने जुनून सीने में रह गया,
जबसे मैकदों में बैठा पीने में रह गया
जबसे लग गया ज़माने की रफ्तार से कदम मिलाने,
मैं हसना भूल गया सिर्फ जीने में रह गया
झूठ, मक्कारी की सीढ़ी से वो पहुंच गए आसमान तक
मेरी खुद्दारी का चोला भीगा पसीने में रह गया
सब ने दरिया में उतरकर अपनी प्यास बुझा ली
ये मैं ही था जो अपने सफीने में रह गया
अनस आलम
जबसे मैकदों में बैठा पीने में रह गया
जबसे लग गया ज़माने की रफ्तार से कदम मिलाने,
मैं हसना भूल गया सिर्फ जीने में रह गया
झूठ, मक्कारी की सीढ़ी से वो पहुंच गए आसमान तक
मेरी खुद्दारी का चोला भीगा पसीने में रह गया
सब ने दरिया में उतरकर अपनी प्यास बुझा ली
ये मैं ही था जो अपने सफीने में रह गया
अनस आलम
Anas ab tumhare andar nikhar aa raha hai, meri ghazal ka matla tumhare liye,
ReplyDeleteMeri murjhayi huyi aankho me tazgi bhar gaya hai,
Vo ek zahin sakhs jo dilo ja me utar gaya hai.
Shukriya
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