Friday, 3 May 2019

Use paane ka junoon

अब कहां उसे पाने जुनून सीने में रह गया,
जबसे मैकदों में बैठा पीने में रह गया

जबसे लग गया ज़माने की रफ्तार से कदम मिलाने, 
मैं हसना भूल गया सिर्फ जीने में रह गया

झूठ, मक्कारी की सीढ़ी से वो पहुंच गए आसमान तक
मेरी खुद्दारी का चोला भीगा पसीने में रह गया

सब ने दरिया में उतरकर अपनी प्यास बुझा ली
ये मैं ही था जो अपने सफीने में रह गया

अनस आलम

2 comments:

  1. Anas ab tumhare andar nikhar aa raha hai, meri ghazal ka matla tumhare liye,
    Meri murjhayi huyi aankho me tazgi bhar gaya hai,
    Vo ek zahin sakhs jo dilo ja me utar gaya hai.

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