Tuesday, 21 May 2019

Election | चुनाव एक समोसा |

समोसे कि दुकान पर खड़े 2 लोग बहुत देर से एक दूसरे पर अपनी राय थोपने में लगे थे पहला आदमी अपनी चाहने वाली पार्टी की तरफदारी कर रहा था तो दूसरा आदमी अपनी चाहने वाली पार्टी की तरफदारी कर रहा था, और ये तमाशा कुछ दूर पर खड़ा बंटी बड़े गौर से देख और सुन रहा था,

उन दोनो आदमियों की बहस करीब आधे घण्टे चली मगर उस बहस का कोई नतीजा नहीं निकल सका और आखिर में दोनो आदमी 2-2 समोसे खा कर वहां से रवाना हो लिए इस नज़ारे का तमाशबीन वो समोसे वाला भी था,

बंटी बेचारा नए उम्र का लड़का उसे समझ नहीं आता था कि कौन सही है और कौन गलत, तब समोसे वाले ने उससे कहा "क्यों बेटा क्या बात है कुछ घुसा दिमाग में"

इतना सुनते बंटी मुस्कुराने लगा और बोला नहीं चाचा कुछ समझ नहीं आता कौन देश को लूटना चाहता है और कौन देश को आबाद करना चाहता है?

तब समोसे वाले ने कहा "अगर तुम्हे मेरे यहां के समोसे और मांगनी राम के यहां के समोसों में फर्क करना हुआ तो कैसे करोगे?
बंटी बोला "पहले आपके यहां के समोसे खाऊंगा और फिर मांगनी राम के फिर फैसला लूंगा की क्या फर्क है और दोनो में से कौन ज़्यादा अच्छे समोसे है"

समोसे वाला झट से बोला "बिल्कुल सही ये सियासत भी समझ लो एक समोसा ही है तुम्हे दोनो पक्षों को आंकना होगा अपनी मज़हबी भावना को एक किनारे रख कर तुम्हे दोनो को उनके काम के मुताबिक आंकना होगा तुम्हे किसी के खयालों को खुद पर हावी नहीं होने देना है तुम्हे खुद फैसला लेना है ।

बंटी बोला आप सही कह रहें हैं मगर मीडिया का क्या?

तो समोसे वाले ने कहा "मान लो ये दोनो को थोड़ी देर पहले बहस कर रहे थे ये दोनो एक दूसरे के खिलाफ खड़े हुए नेता है और मैं मीडिया वाला" इन दोनो ने क्या किया आधे घंटे बहस किया और मेरा 2-2 समोसे का फायदा कर गया,
समोसेा सुनते ही बंटी ज़ोर ज़ोर से हसने लगा और 2समोसे उसके यहां से ले गया और रास्ते में मांगनी राम के समोसे भी चखते गया।

अनस आलम

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