Gazal hamesha se ek khoobsurat ehsaas ka zariya rahi hai english zabaan me isi poetry bhe kehte hain ham ise tehzeeb se bhe jod sakte hain, vo thezeeb jo ise kabhi sikhani nahin padti ye khud b khud tehzeeb k raste apnati hai | tehzeeb poetry |
इंसान कहता है मैं सबसे बड़ा हूं,
मैं भी आईना हूं अपनी ज़िद पर अड़ा हूं
साइकिल का पंक्चर, चाए, सब बहाने हैं,
एक कमबख्त खिड़की के लिए गली में खड़ा हूं
मेरी जां तुम्हें ख़बर क्या एक तेरी खातिर,
मोहल्ले के कितने लड़कों से मैं लड़ा हूं
करीब आती नहीं बस दूर से मुस्कुराती हो,
फूट जाऊंगा एक दिन, सब्र का घड़ा हूं
अनस आलम........
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👌👌👌👌🙏
ReplyDeleteShukriya .....visit karti rahen
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