इश्क़ कर के औरों की फ़िक्र नहीं करते,
समंदर में उतर कर लहरों की फ़िक्र नहीं करते
ये सफर में बहुत मिलेंगे रास्ता रोकने वाले,
मंज़िल चाहिए तो गैरों की फ़िक्र नहीं करते
चाहत सरहद के पार है और हिचकिचाते भी हो,
उस हासिल करना है तो पहरों की फ़िक्र नहीं करते
जब तलक ज़िंदा हूं ये ज़मीन नहीं छोड़ पाऊंगा,
हम गांव के लोग शहरों की फ़िक्र नहीं करते
उसने नक़ाब हटाने को कहा पर हमने कह दिया,
हम किरदार की ख़ुशबू के आगे चेहरों की फ़िक्र नहीं करते
अनस आलम।
समंदर में उतर कर लहरों की फ़िक्र नहीं करते
ये सफर में बहुत मिलेंगे रास्ता रोकने वाले,
मंज़िल चाहिए तो गैरों की फ़िक्र नहीं करते
चाहत सरहद के पार है और हिचकिचाते भी हो,
उस हासिल करना है तो पहरों की फ़िक्र नहीं करते
जब तलक ज़िंदा हूं ये ज़मीन नहीं छोड़ पाऊंगा,
हम गांव के लोग शहरों की फ़िक्र नहीं करते
उसने नक़ाब हटाने को कहा पर हमने कह दिया,
हम किरदार की ख़ुशबू के आगे चेहरों की फ़िक्र नहीं करते
अनस आलम।
No comments:
Post a Comment