मेरी बचपन की हर याद की तरह ये याद भी धुंधली होने को थी कि मैंने उस आदमी को एक आइसक्रीम की गाड़ी को दोपहर कि चिलचिलाती धूप में खींचते देखा, हल्के सावले रंग का ये आदमी जिसके जिस्म पर सुती कपड़े का एक मैला सा कुर्ता था पैरों में वही पुराने जुते और सर पर एक फिरोजी गमछा था मैं जरा हिचकिचाते उसकी तरफ बढ़ा और कहा,
"चाचा गरी के बुरादे में लपेट कर वो 2 रुपए वाली कुल्फी देना"
वो मुझे एक टक देखने लगा चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट लिए मुझे पहचानने की नाकाम कोशिश करते हुए उसने कहा
"बहुत देर कर दिए बेटा, 8साल पहले आए होते तो दे देते"
मैं ये सोच ही रहा था कि ये इंसान आज भी वही काम कर रहा है तब तक उसने कहा "का हुआ बेटा का सोचने लगे
इस आदमी की आंखो में वही पुरानी चमक थी उसकी आवाज़ में वही पुराना अंदाज़ मुझे इस आदमी से ज़्यादा दिलचस्पी उसकी आवाज़ में थी जिससे वो बच्चों को बुलाया करता था "ले ले ले ले ले कुल्फी ई ई ई ई ई ई"
मैंने कहा चाचा क्या बात है आपका ठेला तो आज एक फर्स्ट क्लास गाड़ी में तब्दील हो गया है अब भी बच्चों को क्या वही आवाज़ें दे कर अपनी तरफ बुलाते हो,
उसने कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कुरा कर रह गया फिर मैंने पूछा क्या आपने पहचाना मुझे तो कहने लगा हां बेटा मुझे याद है तुम हमेशा 2 रुपए की कुल्फी खाते थे और अपनी कमीज पर गिरा लेते थे और कहते थे चाचा ऐसी कुल्फी बनाओ जिसे ये सूरज ना पिघला पाए,
मुझे जान कर बहुत कुशी हुई कि मैं उसे याद हूं फिर हमने एक दूसरे का हाल चाल लिया और वो अपनी राह को चल दिया मैं भी अपने रास्ते चलने लगा कुछ सोच ही रहा था कि पीछे से एक आवाज़ आई
"ले ले ले ले ले कुल्फी ई ई ई ई ई ई"
फिर मैंने पलट के देखा तो हमारी नज़रें मिली और मैं बस मुस्कुराते हुए अपनी राह पर आगे बढ़ने लगा,जाने अंजाने में वो कुल्फी वाला एक और याद दे गया एक खूबसूरत याद।
अनस आलम।
"चाचा गरी के बुरादे में लपेट कर वो 2 रुपए वाली कुल्फी देना"
वो मुझे एक टक देखने लगा चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट लिए मुझे पहचानने की नाकाम कोशिश करते हुए उसने कहा
"बहुत देर कर दिए बेटा, 8साल पहले आए होते तो दे देते"
मैं ये सोच ही रहा था कि ये इंसान आज भी वही काम कर रहा है तब तक उसने कहा "का हुआ बेटा का सोचने लगे
इस आदमी की आंखो में वही पुरानी चमक थी उसकी आवाज़ में वही पुराना अंदाज़ मुझे इस आदमी से ज़्यादा दिलचस्पी उसकी आवाज़ में थी जिससे वो बच्चों को बुलाया करता था "ले ले ले ले ले कुल्फी ई ई ई ई ई ई"
मैंने कहा चाचा क्या बात है आपका ठेला तो आज एक फर्स्ट क्लास गाड़ी में तब्दील हो गया है अब भी बच्चों को क्या वही आवाज़ें दे कर अपनी तरफ बुलाते हो,
उसने कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कुरा कर रह गया फिर मैंने पूछा क्या आपने पहचाना मुझे तो कहने लगा हां बेटा मुझे याद है तुम हमेशा 2 रुपए की कुल्फी खाते थे और अपनी कमीज पर गिरा लेते थे और कहते थे चाचा ऐसी कुल्फी बनाओ जिसे ये सूरज ना पिघला पाए,
मुझे जान कर बहुत कुशी हुई कि मैं उसे याद हूं फिर हमने एक दूसरे का हाल चाल लिया और वो अपनी राह को चल दिया मैं भी अपने रास्ते चलने लगा कुछ सोच ही रहा था कि पीछे से एक आवाज़ आई
"ले ले ले ले ले कुल्फी ई ई ई ई ई ई"
फिर मैंने पलट के देखा तो हमारी नज़रें मिली और मैं बस मुस्कुराते हुए अपनी राह पर आगे बढ़ने लगा,जाने अंजाने में वो कुल्फी वाला एक और याद दे गया एक खूबसूरत याद।
अनस आलम।
Khoobsurat😊
ReplyDeleteShukriya ......visit karte rahen
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