तेरी आंखो में हमेशा नमी नज़र आती है,
तेरे वजूद में मेरी कमी नज़र आती है
बरसात उस मगरूर आसमान के हाथो में है,
बहुत लाचार मुझे ये ज़मीं नज़र आती है
हस के सह लेती है तेरा हर सितम,
ये औरत अंदर से ज़ख्मी नज़र आती है
तुझे आते होंगे नज़र कई रंग यहां पर,
मुझे तो बस एक सरजमीं नजर आती है
अनस आलम
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